Author: Shailja Dubey

"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल लोगों को सही दिशा देने में कर सकें।" इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 5 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। अभी मैं दैनिक अपडेट, मनोरंजन, सामान्य ज्ञान और जीवनशैली समेत अन्य विषयों पर काम कर रही हूं।

मोनेट की एक प्रभाववादी पेंटिंग प्रभाववादी कला की प्रवृत्ति को सुर्योदय के दृश्य में आगे बढ़ाने में योग दिया चित्रकला कला उतनी ही प्राचीन है जितनी मानव सभ्यता इसे कला का सबसे रचनात्मक रूप समझा जाता है. इतिहास के अलग अलग कालों में चित्रकला की भिन्न-भिन्न शैलियों का विकास हुआ. प्रत्येक शैली में अपनी विशेषता रखनेवाले महान चित्रकार हुये. प्रभाववाद (Impressionism) इनमें से एक ऐसी शैली है जिसका सबसे पहले फ्रांस के चित्रकारों ने सन् 1870 आदि में उपयोग किया. इस प्रकार के चित्र या पेंटिंग्स किसी एक चीज का प्रभाव दिखाते हैं, चित्र में दिखाई सभी चीजों का नहीं.…

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शरीर की बीमारी के कीटाणुओं (बैक्टीरिया, वायरस, प्रोटोजोआ) के खिलाफ लड़ने और बीमारी के बाद ठीक होने की प्राकृतिक क्षमता को इम्यूनिटी (immunity) या रोधक्षमता कहते हैं. जिस व्यक्ति में किसी बीमारी के प्रति यह रोधक्षमता होती है, उसे वह बीमारी नहीं लगती, जबकि दूसरों को यह बीमारी लग सकती है. माइक्रोब (Microbe) और पैरासाइट (Parasite) आदमियों में कई बीमारियां फैलाते हैं. बीमारी फैलाने वाले कीटाणु एक प्रकार का जीव-विष शरीर में छोड़ते हैं, जो बहुत जहरीला होता है. सामान्य तौर पर माइक्रोबों से बचने की शरीर में प्राकृतिक शक्ति होती है. पहले तो खेल ही इन्हें अंदर घुसने नहीं…

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शरीर में दो या दो से अधिक हड्डियां हैं, उस स्थान को संधियां (Joints) और ये जहां मिलती उसे संधिस्थल कहते हैं. इन संधियों की बनावट पर यह निर्भर करता है कि हड्डियां कितनी या किस दिशा में हिल-डुल सकती हैं. शरीर में संधियां के प्रकार मुख्य रूप से शरीर में तीन प्रकार की संधियां होती हैं. इनकी ये श्रेणियां इनकी अलग-अलग गति के आधार पर बनाई गई हैं. ये श्रेणियां इस प्रकार हैं:- स्थिर या अचल संधि: स्थिर संधि में हड्डियां सख्ती से एक दूसरे के साथ जुड़ी होती हैं, क्योंकि सख्त और मजबूत तंतुओं से हड्डियों को जकड़कर…

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आधुनिक कृत्रिम अंग बहुत ही प्राकृतिक दिखते हैं और पहनने में काफी आरामदायक होते हैं. इलेक्ट्रोनिक से चलने वाले आधुनिकतम अंग शरीर की मांसपेशियों की सूक्ष्म विद्युतीप प्रभावों से काम करते हैं. कृत्रिम अंगों के अलावा शरीर के अन्य अंग जिनके स्थान पर कृत्रिम अंग लगाये जा सकते हैं- आंख, दांत, हृदय का वाल्व और हृदय का पेस मेकर आदि हैं. First Artificial Limbs: आज चिकित्सा विज्ञान ने इतनी उन्नति कर ली है शरीर के कई अंग कृत्रिम रूप से बनाये जाने और योग्य सर्जन डॉक्टरों द्वारा लगाये जाने लगे हैं. यह प्रगति एक लंबे समय तक बहुत से प्रयत्नों…

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गाय के बनों पर रबर कप लगा दिए जाते हैं, ये एक ट्यूब से जुड़े होते हैं, एक उपकरण इन ट्‌यूबों को बारी-बारी से दबाता है और उसमें वायु छोड़ता है; इस क्रिया के कारण गाय के थनों से दूध निबुड़ कर ट्यूब में आ जाता है और वहां से बरतन में चला जाता है First milking Machine: दूध दुहने की की मशीन एक ऐसा यंत्र है। जिससे गाय, भैंस का दूध निकाला जाता है. दूध दुहने की पहली मशीन का पेटेन्ट में पशु के थनों पर लगने वाले चार प्याले होते थे जो एक हवा रहित डिब्बे (Vaccum Chamber)…

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विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए आजकल मूत्र- परीक्षण (Urine Test) करना एक आम पद्धति बन गई है. यद्यपि प्रयोगशाला में विशेष मूत्र परीक्षण द्वारा अनेक बीमारियों का निदान होता है, परन्तु आकस्मिक मूत्र- परीक्षण द्वारा कुछ निश्चित बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. बीमारियों का मूत्र परीक्षण किडनी द्वारा खून को साफ कर अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है. सामान्यतः मूत्र का रंग पीली घास या पुआल के रंग का होता है, जिसका कारण उसमें ‘यूरोक्रोम’ (Urochrome) रंजक की उपस्थिति है. यदि किसी व्यक्ति को बुखार हो तो उसके मूत्र का…

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लिफ्ट या ऐलीवेटर (Elevator) एक ऐसी गाड़ी है, जो बहुमंजिली इमारतों में आदमियों या सामान को ऊपर-नीचे लाने और ले जाने का काम करती है. अत्याधुनिक लिपटें बिजली की मोटर से चलती हैं, जिनमें केवल और चरखियों से वजन को संभाला जाता है. लिफ्ट का अविष्कार और इतिहास लिफ्ट का आविष्कार किसी एक व्यक्ति द्वारा एक दिन में नहीं हुआ. इसका आधुनिक रूप बहुत से वैज्ञानिकों के सतत प्रयास का हो फल है. भवन निर्माण के दौरान भारी सामान को तकनीकी विधियों से उठाने की कहानी संभवतः रोमन काल से आरंभ होती है. रोम इंजीनियर वित्रूवियस पोलियो (Vitruvius Pollio) पहली…

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जीरो (Zero) के आविष्कार से मानवता के इतिहास में एक क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है, क्योंकि इसके द्वारा ही उच्चतर गणित का विकास संभव हो सका है. यद्यपि विश्वास के साथ यह नहीं कहा जा सकता कि शून्य का आविष्कार किस व्यक्ति ने किया, परंतु यह निश्चयपूर्वक कहा जा सकता है कि इसका आविष्कार दूसरी तीसरी शताब्दी में भारत में हुआ था. सभ्यता के विकास के आरंभ से ही मानव संख्याओं को अलग-अलग विधि से लिखने की चेष्टा करता रहा है. इसके लिए यूनान के लोग अपनी वर्णमाला के अक्षरों को प्रयोग करते थे. मिस्र के लोग उचित चित्रों द्वारा संख्याएं…

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एक बार महान वैज्ञानिक सर हम्फ्री डेवी (Humphry Davy) से उनके के एक एक मित्र ने पूछा कि उनकी सबसे महान खोज क्या है? इस पर डेवी ने उत्तर दिया, ‘माइकेल फराडे (Michael Faraday)’. उस समय फराडे उनके सहायक के रूप में कार्य कर रहे थे. बाद में फराडे द्वारा अनेक महत्वपूर्ण आविष्कार किए गए. फराडे का जन्म सन् 1791 में एक गरीब लोहार परिवार में हुआ था. उसने 13 वर्ष की अवस्था से ही पुस्तक विक्रेता के यहां उसकी पुस्तकों और समाचारपत्रों की फुटपाथ पर बिक्री करके अपनी रोजी रोटी कमाना शुरू कर दी थी. लेकिन उसके खोजपूर्ण और…

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डॉ. हरगोविंद खुराना नोबेल पुरस्कार पाने वाले तीसरे भारतीय डॉ. हरगोबिद खुराना (Dr Hargovind Khurana) विश्वप्रसिद्ध जीवरसायनशास्त्री हैं. इन्होंने डीओक्सीराइबोन्यूक्लियक एसिड (DNA) और राइबोन्यूक्लियक एसिड (RNA) को कृत्रिम संश्लेषण विधि द्वारा बनाने का आविष्कार किया. अपने इस महान् योगदान के लिए इन्हें एम. डब्ल्यू, नोरेनबर्ग और आर. डब्ल्यू. हाली के साथ 1968 का शरीर विज्ञान और औषधि क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया. डॉ हरगोविंद खुराना की पढ़ाई हरगोबिंद खुराना का जन्म 9 जनवरी 1922 को पंजाब (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ. शुरू से ही ये पढ़ाई लिखाई में बहुत प्रखर थे. अपने अध्ययन काल में इन्होंने अनेक…

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